रम्य मधुवन हो स्वर्ग समान
रम्य मधुवन हो स्वर्ग समान,सुरा हो, सुरबाला का गान!तरुण बुलबुल की विह्वल तानप्रणय ज्वाला से भर दे प्राण!न विधि का भय, न जगत का ज्ञान,स्वर्ग की स्पृहा, नरक का ध्यान,-मदिर…
रम्य मधुवन हो स्वर्ग समान,सुरा हो, सुरबाला का गान!तरुण बुलबुल की विह्वल तानप्रणय ज्वाला से भर दे प्राण!न विधि का भय, न जगत का ज्ञान,स्वर्ग की स्पृहा, नरक का ध्यान,-मदिर…
भला कैसे कोई निःसारस्वप्न पर जाए जग के वार?हँस रही जहाँ अश्रुजल मालविभव सुख के ओसों की डार!अथक श्रम से सुख सेज सँवारलेटता जब तू शोक बिसार,बज्र स्वर में कहता…
फेन ग्रथित जल, हरित शष्प दल,जिससे सरित पुलिन आलिंगित,उस पर मत चल, वह चिर कोमलललना की रोमावलि पुलकित!गुल लाला सम मुख छबि निरुपमउस मृग नयनी की थी सस्मित,वह मुकुलित तन…
चपल पलक से कुटिल अलक सेबिंध बँध कर होना हत मूर्छित,सतत मचलना, वृत्ति बदलनाहृदय, तुम्हारा यदि स्वभाव नित!फिर अंतिम क्षण तजना प्रिय तनप्राण, तुम्हारा अगर यही प्रण,विधि ने क्यों कर…
हृदय जो सदय, प्रणय आगार,भक्त, उस उर पर कर अधिकार!न मंदिर मसजिद के जा द्वारन जड़ काबे पर तन मन वार!अगर ईश्वर को कुछ स्वीकारहृदय जो सदय, प्रणय आगार!हृदय पर…
इस जग की चल छाया चित्रितरंग यवनिका के भीतरछिप जाएँगें जब हम प्रेयसि,जीवन का छल अभिनय कर!रंग धरा पर हास अश्रु केदृश्य रहेंगे इसी प्रकारहम न रहेंगे, मायामय कापर न…
निस्तल यह जीवन रहस्य,यदि थाह न मिले, वृथा है खेद!सौ मुख से सौ बातें कहलेंलोग भले, तू रह अक्लेद!सूक्ष्म हृदय इस मुक्ताफल काकभी न कोई पाया बेध,गोपन सत्य रहा नित…
यहाँ उमर के मदिरालय मेंकोई नहीं दुखी या दीन,सब की इच्छा पूरी करतीसुरा, बना सबको स्वाधीन!जब तक आशा श्वासा उर मेंसखे, करो मदिराधर पान,क्षण भर को भी रहे न मानसजग…
लता द्रुमों, खग पशु कुसुमों मेंसकल चराचर में अविकारभरी लबालब जीवन मदिराउमर कह रहा सोच विचार!पान पात्र हों भले टूटतेमदिरालय में बारंबारलहराती ही सदा रहेगीजग में बहती मदिराधार!
मधु बाला के साथ सुरा पी,उमर विजन में कर तू वास,जग से दूर, जहाँ जीवन केतापों का न मिले आभास!दो दिन का साथी यह जीवनज्यों वन फूलों का आमोद,गुलवदनों से,…