!! दोहा !!
श्रीगुरु चरन सरोज रज
निज मनु मुकुरु सुधारि !
बरनउँ रघुबर बिमल जसु
जो दायकु फल चारि !!
बुद्धिहीन तनु जानिके
सुमिरौं पवन-कुमार !
बल बुधि बिद्या देहु मोहिं
हरहु कलेस बिकार !!
!! चौपाई !!
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर !
जय कपीस तिहुँ लोक उजागर !!
राम दूत अतुलित बल धामा !
अंजनि पुत्र पवनसुत नामा !!
महाबीर बिक्रम बजरंगी !
कुमति निवार सुमति के संगी !!
कंचन बरन बिराज सुबेसा !
कानन कुण्डल कुँचित केसा !!
हाथ बज्र अरु ध्वजा बिराजै !
काँधे मूँज जनेउ साजै !!
शंकर स्वयं/सुवन केसरी नंदन !
तेज प्रताप महा जगवंदन !!
बिद्यावान गुनी अति चातुर !
राम काज करिबे को आतुर !!
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया !
राम लखन सीता मन बसिया !!
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा !
बिकट रूप धरि लंक जरावा !!
भीम रूप धरि असुर सँहारे !
रामचन्द्र के काज सँवारे !!
लाय सजीवन लखन जियाए !
श्री रघुबीर हरषि उर लाये !!
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई !
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई !!
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं !
अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं !!
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा !
नारद सारद सहित अहीसा !!
जम कुबेर दिगपाल जहाँ ते !
कबि कोबिद कहि सके कहाँ ते !!
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीह्ना !
राम मिलाय राज पद दीह्ना !!
तुम्हरो मंत्र बिभीषण माना !
लंकेश्वर भए सब जग जाना !!
जुग सहस्त्र जोजन पर भानु !
लील्यो ताहि मधुर फल जानू !!
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं !
जलधि लाँघि गये अचरज नाहीं !!
दुर्गम काज जगत के जेते !
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते !!
राम दुआरे तुम रखवारे !
होत न आज्ञा बिनु पैसारे !!
सब सुख लहै तुम्हारी सरना !
तुम रक्षक काहू को डरना !!
आपन तेज सम्हारो आपै !
तीनों लोक हाँक तै काँपै !!
भूत पिशाच निकट नहिं आवै !
महावीर जब नाम सुनावै !!
नासै रोग हरै सब पीरा !
जपत निरंतर हनुमत बीरा !!
संकट तै हनुमान छुडावै !
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै !!
सब पर राम तपस्वी राजा !
तिनके काज सकल तुम साजा !!
और मनोरथ जो कोई लावै !
सोई अमित जीवन फल पावै !!
चारों जुग परताप तुम्हारा !
है परसिद्ध जगत उजियारा !!
साधु सन्त के तुम रखवारे !
असुर निकंदन राम दुलारे !!
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता !
अस बर दीन जानकी माता !!
राम रसायन तुम्हरे पासा !
सदा रहो रघुपति के दासा !!
तुम्हरे भजन राम को पावै !
जनम जनम के दुख बिसरावै !!
अंतकाल रघुवरपुर जाई !
जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई !!
और देवता चित्त ना धरई !
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई !!
संकट कटै मिटै सब पीरा !
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा !!
जै जै जै हनुमान गोसाईं !
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं !!
जो सत बार पाठ कर कोई !
छूटहि बंदि महा सुख होई !!
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा !
होय सिद्धि साखी गौरीसा !!
तुलसीदास सदा हरि चेरा !
कीजै नाथ हृदय मह डेरा !!
!! दोहा !!
पवनतनय संकट हरन,
मंगल मूरति रूप !
राम लखन सीता सहित,
हृदय बसहु सुर भूप !!