सुनता हूँ रमजान माह का
सुनता हूँ रमजान माह काउदय हुआ अब पीला चाँद,मदिरालय की गलियों में अबफिर न सकूँगा कर फ़रियाद!मैं जी भर शाबान महीनेपीलूँगा मदिरा इतनी,पड़ा रहूँ अलमस्त ईद तकरहे न रोज़ों की…
मधुज्वाल : सुमित्रानंदन पंत
Madhujwal Sumitranandan Pant
मधुज्वाल उमर ख़ैयाम की रुबाइयों का अनुवाद | Hindi Poetry Sumitranandan Pant
सुमित्रानंदन पंत की प्रसिद्ध कविताएँ
सुमित्रानंदन पंत की रचनाएँ
सुनता हूँ रमजान माह काउदय हुआ अब पीला चाँद,मदिरालय की गलियों में अबफिर न सकूँगा कर फ़रियाद!मैं जी भर शाबान महीनेपीलूँगा मदिरा इतनी,पड़ा रहूँ अलमस्त ईद तकरहे न रोज़ों की…
बुझता हो जीवन प्रदीप जबउसको मदिरा से भरना,मृत्यु स्पर्श से मुरझाएपलकों को मधु से तर करना!द्राक्षा दल का अंगराग मलताप विकल तन का हरना,स्वप्निल अंगूरी छाया मेंक़ब्र बना, मुझको धरना!
सौ सौ धर्मान्धों से बढ़कर पूत एक मदिरा का जाम, चीन देश से भी अमूल्य रे मधु का फैला फेन ललाम! निखिल सृष्टि की प्रिया सुरा यह, जीवों के प्राणों…
ज्ञानोज्वल जिनका अंतस्तल उनको क्या सुख-दुःख, फलाफल? मदिरालय जिसका उर तन्मय, उसको क्या फिर स्वर्ग-नरक-भय? वह मानस जिसमें मदिरा रस उसे वसन क्या? टाट कि अतलस! अवश पलक पाएँ न…
हंस से बोली व्याकुल मीन करुणतर कातर स्वर में क्षीण, ‘बंधु, क्या सुन्दर हो’ प्रतिवार लौट आए जो बहती धार!’ हंस बोला, ‘हमको कल व्याध भून डालेगा, तब क्या साध?…
मदिराधर रस पान कर रहस त्याग दिया जिसने जग हँस हँस, उसको क्या फिर मसजिद मंदिर सुरा भक्त वह मुक्त अनागस! हृदय पात्र में प्रणय सुरा भर जिसने सुर नर…
सुरालय हो मेरा संसार, सुरा-सुरभित उर के उद्गार! सुरा ही प्रिय सहचरि सुकुमार, सुरा, लज्जारुण मुख साकार! उमर को नहीं स्वर्ग की चाह, सुरा में भरा स्वर्ग का सार! सुरालय…
राह चलते चुभता जो शूल वही उसके स्वभाव अनुकूल! कामिनी की वह कुंचिक अलक कभी था कुटिल भृकुटि, चल पलक! खड़े जो सुंदर सौध विशाल सुनो उनकी ईंटों का हाल,…
मदिराधर कर पान, सखे, तू न धर न जुमे का ध्यान, लाज स्मित अधरामृत कर पान! सभी एक से तिथि, मिति, वासर, जुमा, पीर, इतवार, शनीचर! नीति-नियम निःसार! धर्म का…
वृथा यह कल की चिन्ता, प्राण आज जी खोल करें मधुपान! नीलिमा का नीलम का जाम भरा ज्योत्स्ना से फेन ललाम! इंदु की यह सलज्ज मुसकान रहेगी जग में चिर…