मेघ
परम पुरुष की कौन सी महिमा काढिंढोरा पीटते हुए घूम रहे हो, हे मेघ?किस परमानंद निधि सेउठकर जा रहे हो कहाँ?भाव-बाग के भक्ति बीज कोहर्ष जल बरसाते हुएदेवदेव की दिव्यकांति…
Kuppali Venkatappa Puttappa
कुपल्ली वेंकटप्पागौड़ा पुटप्पा | कन्नड़ कविता हिन्दी में : कुपल्ली वेंकटप्पागौड़ा पुटप्पा (कुवेम्पु)
Kannada Poetry in Hindi : Kuppali Venkatappa Puttappa (Kuvempu)
परम पुरुष की कौन सी महिमा काढिंढोरा पीटते हुए घूम रहे हो, हे मेघ?किस परमानंद निधि सेउठकर जा रहे हो कहाँ?भाव-बाग के भक्ति बीज कोहर्ष जल बरसाते हुएदेवदेव की दिव्यकांति…
पूरब की दिशा में खेलती-खेलती,इठलाती बलखाती, उभर आती है!ऊपर उठती, धीरे धीरे, देख,उषा उभर आती है! अंधी रात का काला बिछौना खोलती है धरती धीरे-धीरे,नये काननों का हरे परिधान पहने…
दर्शन है यह;यह साक्षात्कार है।सिर्फ देखने की चीज नहीं हैइस अनुभव का कोई और नाम है नहीं! यह सिर्फ़ फूल के विकसित होने कीसामान्य प्राकृतिक घटना है नहीं!भावपूर्ण मन से…
परम पुरुष की कौन सी महिमा काढिंढोरा पीटते हुए घूम रहे हो, हे मेघ?किस परमानंद निधि सेउठकर जा रहे हो कहाँ?भाव-बाग के भक्ति बीज कोहर्ष जल बरसाते हुएदेवदेव की दिव्यकांति…
पानी क्यों बहता है?बहता है!सागर से मिलने के लिए है न?मिलता है!लेकिन क्या?सागर से मिलने के लिएबहता नहीं है पानी;बहते बहते, सागर से मिल जाता हैऔर कुछ नहीं! आग क्यों…
भगवान ने हस्ताक्षर किये;देखा कवि ने उसे,होकर रस-विभोर। विशाल आकाश है बना पृष्ठभूमिशोभा दे रही हैं ऊँचे पर्वतों की श्रेणियाँ।घने जंगलों की सीमाओं के बीच,विराज रही हैं तुंगा जल सुन्दरी।भगवान…
ओह! रुककर देखो तो यहाँइस वृक्ष की देहश्री में इधर,खिल रहा है स्वर्ग आप ही।उर्वशी तिलोत्तमा आदि अप्सराएँनाच रही हैं यहाँ इस वृक्ष कीकोंपलों की इस इंद्र सभा में।पाँव हैं…
लो फिर! उस पेड़ की छाया!रोज की तरह पड़ी मर रही है वहाँ!इस नियम का शासन मुझे पीड़ित कर रहा हैपूर्वजन्म के महा अभिशाप के रूप में,नियमों को निगल कर,…
स्वर्ग की ओर खेलने शिकार, निकला मैं तड़के ही,भूखे महाव्याघ्र जैसे, सौंदर्य-धेनु के हृदय काखून चूसने की आतुरता से, पर्वतीय प्रदेश की उसघाटी के हरियाली-भरे घास के मैदान में,जहाँ थीं…
यहाँ है नहीं तेरा प्रवेश, हे व्याध;यह है पक्षिकाशी।देवनदी में, ईश कृपा मेंभावतरुवासीप्राणपक्षी संकुल को मिलता है संरक्षण यहाँ;है यह नित्य अविनाशीदेख शक्ति को मिली है रक्षा यहाँ से।अग्नि की…