यह गीत रामचरितमानस के भावनाओं और कथा को दर्शाता है, जिसमें सीता जी की भावनाओं को दर्शाया गया है जब वे पहली बार भगवान राम को देखती हैं।
राम को देख कर श्री जनक नंदिनी,
मन्द मुस्कान अधरों पे आयी !
राम को देख कर श्री जनक नंदिनी,
मन्द मुस्कान अधरों पे आयी !!
मन में लीन्ही सीता मुरतिया,
कोकिल मधुर मदिरा बन छायी !!
राम को देख कर श्री जनक नंदिनी,
मन्द मुस्कान अधरों पे आयी !!
राम को देख जनक नंदिनी,
मन में सजन समाई !
राम को देख कर श्री जनक नंदिनी,
मन्द मुस्कान अधरों पे आयी !!
नैनों से गिरत स्याम सलोने,
मोरे मन मन्दिर छवि छायी !
राम को देख कर श्री जनक नंदिनी,
मन्द मुस्कान अधरों पे आयी !!
राम को देख कर श्री जनक नंदिनी,
मन्द मुस्कान अधरों पे आयी !
राम को देख कर श्री जनक नंदिनी,
मन्द मुस्कान अधरों पे आयी !!