बैठ, प्रिय साक़ी, मेरे पास
बैठ, प्रिय साक़ी, मेरे पास, पिलाता जा, बढ़ती जा प्यास! सुनेगा तू ही यदि न पुकार मिलेगा कैसे पार? स्वप्न मादक प्याली में आज डुबादे लोक लाज, जग काज, हुआ…
बैठ, प्रिय साक़ी, मेरे पास, पिलाता जा, बढ़ती जा प्यास! सुनेगा तू ही यदि न पुकार मिलेगा कैसे पार? स्वप्न मादक प्याली में आज डुबादे लोक लाज, जग काज, हुआ…
वह अमृतोपम मदिरा, प्रियतम, पिला, खिला दे मोह म्लान मन, अपलक लोचन, उन्मद यौवन, फूल ज्वाल दीपित हो मधुवन! जंगम यह जग, दुर्गम अति मग, उर के दृग, प्रिय साक़ी,…
मदिराधर कर पान नहीं रहता फिर जग का ज्ञान! आता जब निज ध्यान सहज कुंठित हो उठते प्राण! जाग्रत विस्मृत साथ सतत जो रहता, वह अविकार! वृद्ध उमर भी माथ…
हाय, कोमल गुलाब के गाल झुलस दे ऊष्मा का अभिशाप? प्रथम यौवन, कलियों के जाल स्वयं कुम्हला जाएँ चुपचाप! विजन वन कुंजों में भर प्यार तरुण बुलबुल गाती थी गान,…
प्रीति सुरा भर, साक़ी सुन्दर, मोह मथित मानस हो प्रमुदित! स्वप्न ग्रथित मन, विस्तृत लोचन, मर्त्य निशा हो स्वर्ग उषा स्मित! प्रणय सुरा हो, हृदय भरा हो, लज्जारुण मुख हो…
खोलकर मदिरालय का द्वार प्रात ही कोई उठा पुकार मुग्ध श्रवणों में मधु रव घोल, जाग उन्मद मदिरा के छात्र! ढुलक कर यौवन मधु अनमोल शेष रह जाय नहीं मृद्…
रे जागो, बीती स्वप्न रात! मदिरारुण लोचन तरुण प्रात करती प्राची से पलक पात! अंबर घट से, साक़ी हँसकर, लो, ढाल रहा हाला भू पर, चेतन हो उठा सुरा पीकर,…
जीवन की मर्मर छाया में नीड़ रच अमर, गाए तुमने स्वप्न रँगे मधु के मोहक स्वर, यौवन के कवि, काव्य काकली पट में स्वर्णिम सुख दुख के ध्वनि वर्णों की…
निशीथ एवं अन्य कविताएं : उमाशंकर जोशी Nisheeth Evam Anya Kavitayen : Umashankar Joshi Full Download pdf
नभ में पांती बांधे बगुलों के पंख,चुराए लिए जातीं वे मेरी आंखें। कजरारे बादलों की छाई नभ छाया,तैरती सांझ की सतेज श्वेत काया। हौले - हौले जाती मुझे बांध निज…