श्री हनुमान आरती

!! श्री हनुमंत स्तुति !!
मनोजवं मारुत तुल्यवेगं,
जितेन्द्रियं, बुद्धिमतां वरिष्ठम् !!
वातात्मजं वानरयुथ मुख्यं,
श्रीरामदुतं शरणम प्रपद्धे !!

!! आरती !!

आरती कीजै हनुमान लला की !
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की !!

जाके बल से गिरवर काँपे !
रोग-दोष जाके निकट न झाँके !!
अंजनि पुत्र महा बलदाई !
संतन के प्रभु सदा सहाई !!
आरती कीजै हनुमान लला की !!

दे वीरा रघुनाथ पठाए !
लंका जारि सिया सुधि लाये !!
लंका सो कोट समुद्र सी खाई !
जात पवनसुत बार न लाई !!
आरती कीजै हनुमान लला की !!

लंका जारि असुर संहारे !
सियाराम जी के काज सँवारे !!
लक्ष्मण मुर्छित पड़े सकारे !
लाये संजिवन प्राण उबारे !!
आरती कीजै हनुमान लला की !!

पैठि पताल तोरि जमकारे !
अहिरावण की भुजा उखारे !!
बाईं भुजा असुर दल मारे !
दाहिने भुजा संतजन तारे !!
आरती कीजै हनुमान लला की !!

सुर-नर-मुनि जन आरती उतरें !
जय जय जय हनुमान उचारें !!
कंचन थार कपूर लौ छाई !
आरती करत अंजना माई !!
आरती कीजै हनुमान लला की !!

जो हनुमानजी की आरती गावे !
बसहिं बैकुंठ परम पद पावे !!
लंक विध्वंस किये रघुराई !
तुलसीदास स्वामी कीर्ति गाई !!

आरती कीजै हनुमान लला की !
दुष्ट दलन रघुनाथ कला की !!
!! इति संपूर्णंम् !!

हनुमान आरती

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