निशीथ एवं अन्य कविताएं : उमाशंकर जोशी
Nisheeth Evam Anya Kavitayen : Umashankar Joshi
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निशीथ1हे निशीथ, रुद्ररम्य नर्तक !कंठ में शोभित स्वर्गंगा का हारबजता है कर में झंझा-डमरूघूमता हुआ…
आत्मसंतोषनहीं, नहीं, अब नहीं हैं रोनी हृदय की व्यथाएँ जो जगत् व्यथा देता है, उसी…
अरमानअगण्य क्षणों में से एकाध को पकड़समय की अनंत कुहुकिकाएँ उनमें फूंक करस्फुरित कर जग…
छोटा मेरा खेतछोटा मोरा खेत चौकोनाकागज़ का एक पन्ना,कोई अंधड़ कहीं से आयाक्षण का बीज बहाँ बोया…
बगुलों के पंखनभ में पांती बांधे बगुलों के पंख,चुराए लिए जातीं वे मेरी आंखें। कजरारे बादलों की…