गहने (ओडवेगळु)
सोने के गहने क्योंकर, माँ ? तकलीफ देते हैं, नहीं चाहिए, माँ ! रंगीन कपड़े क्योंकर, माँ ? मिट्टी में खेलने नहीं देते, माँ ! ताकि दिखाई दो सुंदर, बहुत ही सुंदर-यों कहती हो सुंदर लगे किसको, कहो माँ ? देखनेवालों को लगता है सुंदर, देता है आनंद ; मगर मुझे बनता है बड़ा बंधन ! मेरा यह बचपन, तुम्हारा मातृत्व ये ही गहने हैं मेरे लिए, माँ; मैं तुम्हारा गहना; तुम मेरा गहना; फिर अन्य गहने क्यों चाहिए, माँ ? ('गहने' कविता की अनुवादक : डॉ. एम. विमला)