अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे
तो हम कैसे भव से लगेंगे किनारे
हमारे लिए क्यों देर किए हो
हमारे लिए क्यों देर किए हो
गणिका अजामिल को पल में उबारे
गणिका अजामिल को पल में उबारे
अगर नाथ देखोंगे अवगुण हमारे
तो हम कैसे भव से लगेंगे किनारे
पतितो को पावन करते कृपानिधि
पतितो को पावन करते कृपानिधि
किए पाप है इस सुयश के सहारे
किए पाप है इस सुयश के सहारे
अगर नाथ देखोंगे अवगुण हमारे
तो हम कैसे भव से लगेंगे किनारे ॥
माना अगम है अपावन कुटिल है
माना अगम है अपावन कुटिल है
सबकुछ है लेकिन प्रभु हम तुम्हारे
सबकुछ है लेकिन प्रभु हम तुम्हारे
अगर नाथ देखोंगे अवगुण हमारे
तो हम कैसे भव से लगेंगे किनारे
अगर नाथ देखोगे अवगुण हमारे
तो हम कैसे भव से लगेंगे किनारे